संत रामपाल जी महाराज | Diwali 2020 Guru JI Ki Post









  दिवालीपरजलाएं_ज्ञानकादीप | संत रामपाल जी महाराज के अनुसार


 युग की  बात है, एक श्री राम चंद्र नाम के राजा हुए जिन की नगरी अयोध्या के नाम से जानी जाती है।

 श्री रामचंद्र की कहानी का विवरण तुलसीदास लिखित रामायण में मिलता है,

वाल्मीकि रामायण संस्कृत अनुवाद करता है तुलसीदास जी इस लिखित रामायण पुस्तक में तीन लोक का विवरण है।

 ("अपना घर में जब कोई भी कार्य होता है तो होली, दिवाली, कथा, भागवत, रामायण इत्यादि कार्य करते हैं,)

इसके पहले हमें क्या करना चाहिए? इन सभी बातों को विशेष ध्यान दें क्योंकि आज का मानव शिक्षित है ,और अपने शास्त्रों में क्या लिखा हुआ है ,इसका प्रमाण जरूर मिला कर देखें" )

 श्री राम विष्णु अवतार माने जाते हैं, यही श्रीराम श्री राम द्वापर श्री कृष्ण अवतार माने गए हैं,

 श्री रामचंद्र के जीवन का इतिहास गवाह है कि इनके जीवन में जो भी दैनिक कार्य हुये वो कितने दुखों से मिलते हैं।

 श्री रामचंद्र की पत्नी सीता व उनका कुल परिवार कितना दुख से सामना करना पड़ा , भगवान श्री राम एक राजा भी थे,

भगवान राम के जीवन काल में जो भी घोर संकट आए उसका विवरण बाल्मीकि तुलसीदास रामायण में मिलता है।

काग भूषण नाम के देवता थे वह परमेश्वर कबीर जी से मिले ,उस समय कबीर परमेश्वर का मुनेंद्र नाम था काग भूषंंड मुनींद्र ऋषि को जब मिले इसका विवरण भी रामायण में मिलता है"

(लेकिन यह गुप्त कोड में है इसे विशेष कोई तत्वदर्शी संत का भगत ही समझ सकता है)

भगवान राम ने एक गुरु भी धारण किया था और गुरु के बताए नियम के अनुसार है चलते थे।

भगवान श्री रामचंद्र अंतिम स्वास को खत्म करने के लिए अपने प्राण त्याग दिया वह भी सई नदी में।

 बताया जाता है कि श्री रामचंद्र जी 14 वर्ष वनवास से लौटने के बाद अयोध्या में दिवाली मनाई जाने लगी, और एक प्रकरण यह भी आता है कि पांच पांडव ने जब अज्ञातवास वन से घर वापस आए इस उपलक्ष में भी दिवाली का अवसर मनाया जाने लगा।

आज पूरा भारत से लेकर कई देशों में दिवाली का उत्सव को लोग बड़े ढंग से सजा करें मनाते हैं, और अपनी मनोकामना पूर्ण करते हैं।

 विष्णु अवतार श्री रामचंद्र जी और लक्ष्मी पत्नी, श्री राम और सीता की फोटो लगाकर अपने घर को विधिपूर्वक से हर्षोल्लास से मिष्ठान बनाकर पटाखे दगा कर दीपक को जलाकर उस दिन को याद करते हैं।

 शास्त्र अनुकूल भक्ति नियम अनुसार क्या इस तरह से हमें हर्ष उल्लास और पूजा उत्सव मनाने से प्रभु प्राप्ति होगी?

 क्या लक्ष्मी पति विष्णु जी की फोटो को लगा कर हम धन की प्राप्ति कर सकते हैं?

 आखिर कार  इन त्योहारों से हमें कितना लाभ मिलता है

हमारे पूर्वजों को कितना ज्ञान था?

आइए इस प्रश्न का उत्तर पुस्तक से देखते हैं 

इस पुस्तक में अनमोल ज्ञान छुपा हुआ है, जिसको ब्रह्मा, विष्णु, दुर्गा, गणेश इन भगवानों को भी मालदेव,

आइए जानते हैं, सत्य ज्ञान और इस दिवाली अवसर पर सत्यनारायण कथा को पढ़कर अपने परिवार को सत्य मार्ग पर लगाकर मोक्ष प्राप्त करे।

यहाँ पर सभी भाषाओं में पुस्तक की pdf उपलब्ध है

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